Magadh Samrajya (मगध साम्राज्य)

 Magadh Samrajya

मगध साम्राज्य 


मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था | 16 महाजनपदों में मगध सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था | मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता हैं |  मगध साम्राज्य का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी किया गया हैं | मगध का संस्थापक बृहद्रथ को माना जाता हैं |

मगध साम्राज्य पर शासन करने वाले राजवंशों का क्रम कुछ इस तरह से हैं - 

  • हर्यंक वंश 
  • शिशुनाग वंश
  • नंद वंश
  • मौर्य वंश  


हर्यंक वंश


  • हर्यंक वंश मगध साम्राज्य का प्रथम वंश था | 
  • हर्यंक वंश को पितृहंता वंश के रूप में जाना जाता हैं क्योंकि इसमें लगभग सभी शासकों ने अपने पिता की हत्या कर गद्दी हासिल की थी | 
  • 544 ई. पू. बिम्बिसार ने हर्यंक वंश की स्थापना की थी | 
  • हर्यंक वंश में राजाओं का क्रम कुछ इस तरह से हैं - बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदायिन |


बिम्बिसार (544-492 ई. पू.) - बिम्बिसार हर्यंक वंश का पहला शक्तिशाली  शासक था | 

  • बिम्बिसार ने राजगृह (गिरिव्रज) को अपनी राजधानी बनाया | 
  • भारतीय इतिहास में यह पहला शासक था जिसने वैवाहिक परम्परा को साम्राज्य विस्तार का अंग बनाया | 
  • अपने साम्राज्य विस्तार के लिए बिम्बिसार ने कोशल, वैशाली तथा मद्र राजवंशो से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये | 
  • बिम्बिसार के राजवैद्य का नाम जीवक था | तथा बिम्बिसार ने जीवक को गौतम बुद्ध एवं अवन्ति के राजा प्रद्योत की सेवा में भेजा था | 
  • बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु ने बिम्बिसार की हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया | 


अजातशत्रु (492-460 ई. पू.) -  अजातशत्रु  को कुणिक नाम से भी जाना जाता हैं | 

  • अजातशत्रु ने वैशाली और कशी को जीतकर मगध का हिस्सा बना लिया | 
  • अजातशत्रु बौद्ध धर्म का अनुयायी था | 
  • गौतम बुद्ध की  मृत्यु के बाद प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन अजातशत्रु के शासनकाल में किया गया था | 
  • अजातशत्रु के पुत्र उदायिन ने अजातशत्रु की हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया | 


उदायिन - उदायिन हर्यंक वंश का अंतिम महान शासक था |  

  • उदायिन ने गंगा और सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) नगर को बसाया तथा अपनी राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र को बनाया | 
  • हर्यंक वंश का अंतिम शासक नागदशक था | 
Magadh Samrajya (मगध साम्राज्य)



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शिशुनाग वंश


  • हर्यंक वंश के एक सेनापति शिशुनाग ने मगध के सिंहासन पर अधिकार कर शिशुनाग वंश की स्थापना की | 
  • शिशुनाग ने  मगध की राजधानी वैशाली को बनाया | इससे पहले राजधानी पाटलिपुत्र थी | 
  • शिशुनाग ने अवन्ति को जीतकर मगध में मिलाया | 
  • शिशुनाग की मृत्यु के बाद उसका पुत्र कालाशोक राजा बना | 


कालाशोक - पुराणों में कालाशोक को काकवर्ण कहा गया हैं | 

  • इसने मगध की राजधानी को पुनः पाटलिपुत्र कर दिया | 
  • कालाशोक के समय द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था | 
  • नंदिवर्धन शिशुनाग वंश का अंतिम शासक था | 



नंद वंश 


नंद वंश का संस्थापक महापद्मनंद को माना जाता हैं | 

महापद्मनंद - महापद्मनंद भारत का पहला शासक था जिसने एकराट् की  धारण की थी | 

  • महापद्मनंद को पुराणों में परशुराम का दूसरा अवतार कहा गया हैं | 
  • यह जैन धर्म का अनुयायी था |
  • इसने कलिंग को जीता तथा कलिंग से एक जैन मूर्ति (जिनसेन की मूर्ति) को मगध लेकर आया | 
  • महापद्मनंद ने कलिंग में नहरों का निर्माण करवाया था |  इसकी जानकारी खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती हैं | 

 
धनानंद - धनानंद नन्द वंश का अन्तिंम शासक था | 

  • यह बहुत ही क्रूर शासक था | यह जनता से बलपूर्वक धन वसूलता था तथा छोटी-छोटी वस्तुओं पर भारी कर लगाता  था |
  • इन सभी चीजों से जनता काफी परेशान थी | इसी स्थिति का फायदा उठाकर चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से धनानंद की हत्या कर नन्द वंश का अंत कर दिया तथा मौर्य वंश की स्थापना की |  
  • चाणक्य धनानंद के दरबार में रहते थे परन्तु एक बार धनानंद ने चाणक्य का अपमान कर दिया जिसके बाद चाणक्य धनानंद का दरबार छोड़कर चले गए | 
  • धनानंद के शासनकाल में ही 326 ई.पू. सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था | 


सिकंदर का आक्रमण तथा मौर्य वंश अगले आर्टिकल में | 

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