भारत पर विदेशी आक्रमण | Irani and Unani Attack in hindi

 भारत पर विदेशी आक्रमण


प्राचीन भारत में 2 प्रमुख आक्रमण देखने को मिलते हैं | ये आक्रमण मौर्य साम्राज्य की स्थापना से पूर्व हुए | पहले ईरानी आक्रमण हुए फिर यूनानी आक्रमण | 

ईरानी आक्रमण


  • भारत पर पहला विदेशी आक्रमण ईरानियों द्वारा किया गया | 
  • साइरस द्वितीय (हखमनी वंश का संस्थापक) पहला व्यक्ति था जिसने भारत पर आक्रमण किया था | लेकिन यह असफल रहा | 
  • भारत पर पहला सफल आक्रमण डेरियस प्रथम या दारा प्रथम (516 BC में) द्वारा किया गया | 
  • डेरियस प्रथम ने भारत के पश्चिमी सीमा प्रान्त क्षेत्र गांधार प्रदेश को जीतकर उस पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया|
  • डेरियस प्रथम ने भारत के पश्चिमोत्तर भाग को जीतकर उसको ईरान का 20वां प्रान्त बनाया यहां से डेरियस प्रथम को 300 टैलेण्ट स्वर्ण की प्राप्ति होती थी | 
  • बेहिस्तून, पर्सिपोलिस तथा नक्श-ए-रुस्तम अभिलेख डेरियस प्रथम के शासनकाल के हैं | 
  • इसके बाद हखमनी वंश के जो शासक हुए वो भारत पर अपना प्रभाव बनाने में असफल रहे और इस वंश का पतन हो गया | 

ईरानी आक्रमण का प्रभाव 

  • भारत में नयी लिपि का जन्म हुआ जिसे खरोष्ठी लिपि के नाम से जाना जाता हैं | यह ईरान की अरामेइक लिपि के प्रभाव से उत्पन्न हुयी थी | इससे पहले भारत में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग होता था |
  • विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन मिला |
  • मौर्य काल में जो स्तम्भ,राजप्रासाद बने उन पर पर ईरानी कला का प्रभाव |

भारत पर विदेशी आक्रमण


यूनानी आक्रमण 



  • ईरानियों के बाद भारत पर आक्रमण करने वाले यूनानी थे जिनमे प्रमुख हैं सिकंदर या अलेक्जेंडर | 
  • सिकंदर के पिता का नाम फिलिप (मकदूनिया के शासक) था | 
  • फिलिप की मृत्यु के बाद 329 BC में 20 वर्ष की आयु में सिकंदर मकदूनिया का शासक बना | 
  • सिकंदर के गुरु का नाम अरस्तु था | 
  • सिकंदर विश्वविजेता बनना चाहता था इसलिए 326 BC में उसने भारत पर आक्रमण किया | 
  • सिकंदर हिन्दुकुश पर्वत पार कर भारत आया तथा भारत की पश्चिम सीमा पर स्थित तक्षशिला की तरफ आगे बढ़ा |
  • तक्षशिला के शासक आम्भी ने सिकंदर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया तथा सिकंदर का सहयोग किया | 
  • इसके बाद सिकंदर पंजाब की तरफ आगे बढ़ा उस समय पंजाब का शासक पोरस/पुरु था | 
  • पोरस तथा सिकंदर के बीच 326 BC में झेलम नदी के किनारे युद्ध होता हैं जिसे हाइडेस्पीज या विस्तता का युद्ध कहते हैं | 
  • इस युद्ध में पोरस को हार का सामना करना पड़ा | लेकिन पोरस की वीरता से प्रभावित होकर सिकंदर ने पोरस को उसक राज्य वापस कर दिया था | 
  • इसके बाद सिकंदर आगे बढ़ता हुआ व्यास नदी पर पहुँचा लेकिन यहां आने के बाद सिकंदर की सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया | सेना के मना करने के कई कारण थे -
  1. सेना लगातार युद्ध करते-करते थक चुकी थी तथा सैनिक अपने घर वापस जाना चाहते थे | 
  2. भारत की जलवायु यूनान की जलवायु से काफी अलग थी जिसके चलते भी सैनिक परेशान थे | 
  3. अब मगध के साथ युद्ध करना था और मगध की सेना बहुत विशाल थी जिससे सैनिको के मन में डर उत्पन्न हो गया था क्योंकि पोरस के साथ युद्ध में उन्हें काफी परशानी हुयी थी | 
  • 325 BC में व्यास नदी से ही सिकंदर को वापस लौटना पड़ा |
  • इस तरह 19 माह भारत में रहकर सिकंदर ने अपना साम्राज्य विस्तार किया | 
  • सिकंदर ने वापस जाते समय अपने जीते हुए प्रान्त अपने एक सेनापति सेल्यूकस निकेटर को दे दिए | 
  • 323 BC में 33 वर्ष की आयु में बेबीलोन (मेसोपोटामिया) में सिकंदर की मृत्यु हो गयी थी | 
  • सिकंदर ने दो नगरों "निकैया" तथा "बउकेफला" की स्थापना की | 

यूनानी आक्रमण का प्रभाव

  • भारतीयों में राजनीतिक एकता का विकास तथा सुदृढ़ शासन व्यवस्था 
  • व्यापर को बढ़ावा मिला 
  • भारत में यूनानी सिक्कों का प्रचलन | भारत में "उलूक" शैली के सिक्के ढाले गए | 



सिकंदर के आक्रमण के बाद नन्द वंश का पतन हो जाता हैं तथा मगध में मौर्य वंश की स्थापना होती है जिसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे | 

Post a Comment

0 Comments